Friday 12 July 2019

किस्सा तो है ..



एक किस्सा अतीत का ..

किस्सा है जो भुलाया नहीं जाता

भुनाया नहीं जाता

न गलता है, न मिटता है और नाही मरता है

नाही बूंदो की तरह सुख ही जाता

नाही धुवा होता ...

उसे गाड़ नहीं सकती

नाही जला पाती हूँ...




किस्सा तो है जो जहन में उतर गया है

बस सा गया है वही .. फस सा गया है !

उभर आता है रहरहकर

शांत हो चुकी भावनाओ को झकझोरता रहता है ...




किस्सा तो है ..

आधे-अधूरे लम्हो का

अधभरे जख्मों का

लम्हो को याद कर कुरेदती रहती हूँ जख्मो को ..

बहता लहू जिन्दा होने की निशानी देता रहता है

बेरंगसी जिंदगी में रंग भर देता है

रिसती हुयी यादें गर्माहट देती है

जिंदगी जिने का सहारा बन जाती है..




एक किस्सा है जो जीने नहीं देता

वही किस्सा जीने का कारन बनता रहता है

समझ नहीं आता ..

जिंदगी किस्से में समेट गयी है

या क़िस्साहि जिंदगी बन गया है ..




किस्सा ही तो है ... !


- रश्मी पदवाड मदनकर

No comments:

Post a Comment

Featured post

काल त्यांनी बागेतली दोन झाडे तोडली...

 काल त्यांनी बागेतली दोन झाडे तोडली... काल त्यांनी बागेतली दोन झाडे तोडली ज्यांनी परवा पर्यावरणावर घंटो भाषणे झोडली ! झाडाचे जाडे खोड खोलले,...