Wednesday 19 October 2016

महाश्वेतादेवी कि कविता

Beautiful lines by Mahadevi verma !          

आ गए तुम?
द्वार खुला है, अंदर आओ..!

पर तनिक ठहरो..
ड्योढी पर पड़े पायदान पर,
अपना अहं झाड़ आना..!

मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,
अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!

तुलसी के क्यारे में,
मन की चटकन चढ़ा आना..!

अपनी व्यस्ततायें, बाहर खूंटी पर ही टांग आना..!

जूतों संग, हर नकारात्मकता उतार आना..!

बाहर किलोलते बच्चों से,
थोड़ी शरारत माँग लाना..!

वो गुलाब के गमले में, मुस्कान लगी है..
तोड़ कर पहन आना..!

लाओ, अपनी उलझनें मुझे थमा दो..
तुम्हारी थकान पर, मनुहारों का पँखा झुला दूँ..!

देखो, शाम बिछाई है मैंने,
सूरज क्षितिज पर बाँधा है,
लाली छिड़की है नभ पर..!

प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर, चाय चढ़ाई है,
घूँट घूँट पीना..!
सुनो, इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना..!!

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